• राज्य में सहकारी बैंकों की ऑनलाइन बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदमः डॉ. धन सिंह रावत

देहरादून। राज्य बनने के 24 साल बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक की 15 शाखाओं को रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट जारी किए हैं। अब तक सहकारी बैंक निजी बैंकों के भरोसे यह सुविधा ग्राहकों को देते थे। राज्य में सहकारी बैंकों की ऑनलाइन बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। सहकारिता विभाग के मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इस बदलाव की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उन्होंने 2017 से आरटीजीएस के कार्यान्वयन को लगातार आगे बढ़ाया है। डॉ. रावत के प्रयासों पर किसी का ध्यान नहीं गया है, क्योंकि वे हर 15 दिनों में समीक्षा बैठकें आयोजित करने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्तराखंड में सहकारी बैंक त्ज्ळै आवंटन के लिए आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं। त्ठप् द्वारा निर्धारित प्रमुख मानदंडों में से एक यह है कि 5ः से अधिक गैर-निष्पादित परिसंपत्ति अनुपात वाला कोई भी बैंक आरटीजी पहुँच के लिए पात्र नहीं होगा।
सहकारिता मंत्री डॉ. रावत ने आज मंगलवार को कहा कि, सहकारी बैंकों के लिए ऑनलाइन बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करना एक सकारात्मक विकास है जो बैंकों और उनके ग्राहकों दोनों को लाभान्वित करेगा। सहकारिता मंत्री डॉ रावत ने कहा कि अभी राज्य सहकारी बैंकों की 15 ब्रांचों को पृथक आरटीजीएस आवंटित हो गए हैं। बैंकों ने कल सोमवार से इसे लाइव भी कर दिया है।
उन्होंने कहा कि, अब तक सहकारी बैंक निजी बैंकों के आरटीजीएस के मातहत काम करते थे। इसमें उन्हें निजी बैंक में 100 करोड़ रुपये करंट खाते में आरटीजीएस के लिए रखना पड़ता था। अब सहकारी बैंक इस पूंजी को अपने पास रखेगा। दूसरी जगह इस पैसे को खर्च कर ब्याज कमाकर उन्नति करेगा। सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य सहकारी बैंक के बाद 10 जिला सहकारी बैंकों के आरबीआई से आरटीजीएस शीघ्र अलग से लाये जाएंगे। तब तक जिला सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंकों के आरटीजीएस के सब मेम्बर होंगे। जिलों के सहकारी बैंक भी राज्य सहकारी बैंक की भांति 1000 करोड़ रुपये तक निजी बैंकों में आरटीजीएस के लिए जमा रखते थे। यह बड़ी रकम अब राज्य सहकारी बैंक में ही जमा रहेगी। उन्होंने कहा कि आरटीजीएस लेनदेन के वास्तविक समय पर निपटान की अनुमति देगा,जिससे ऑनलाइन बैंकिंग सेवाओं की दक्षता और विश्वसनीयता बढ़ेगी। डॉ. रावत के लगातार समीक्षा बैठक और सहकारिता विभाग के आला अधिकारियों को निर्देश से उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक अपने छच्। के स्तर को 5 प्रतिशत से नीचे लाने में सफल रहे हैं, इस प्रकार आरटीजीएस आवंटन के लिए त्ठप् के मानदंडों को पूरा किया है।
सहकारी बैंकों ने एनपीए वसूलने के लिए अभियान चलाया। जिसमें सफलता प्राप्त की गई। राज्य सहकारी बैंक व 10 जिला सहकारी बैंक का 31 मार्च 2023 तक सकल एनपीए 603 करोड़ था, 31 मार्च 2024 तक 538 करोड़ रह गया है। जिसमें 64 करोड़ एनपीए की वसूली की गई। जबकि बैंकों का नेट एनपीए 31 मार्च 23 तक 221 करोड़ था,  31 मार्च 24 तक 156 करोड़ रह गया। 64 करोड़ रुपये एनपीए की वसूली की गई। बैंक अधिकारियों द्वारा एनपीए वसूली के लिए विशेष अभियान चलाया गया।
सहकारी बैंकों को अक्सर संसाधनों, प्रौद्योगिकी और तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिससे बड़े राष्ट्रीयकृत बैंकों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की उनकी क्षमता सीमित हो गई है। इसे पहचानते हुए, सहकारिता विभाग के मंत्री डॉ. रावत ने सहकारी बैंकों को  मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं, जिसमें उन्हें राष्ट्रीयकृत बैंकों के समकक्ष खड़ा करना शामिल है। सहकारी बैंकों को मजबूत करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक ऑनलाइन बैंकिंग का क्षेत्र है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक लोग डिजिटल बैंकिंग सेवाओं की ओर रुख कर रहे हैं, सहकारी बैंकों के लिए अपने ग्राहकों को ऑनलाइन बैंकिंग विकल्प प्रदान करना तेजी से महत्वपूर्ण हो गया है। इससे न केवल ग्राहकों के लिए अधिक सुविधा और पहुंच की अनुमति मिलती है, बल्कि सहकारी बैंकों को आधुनिक बैंकिंग परिदृश्य में अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने में भी मदद मिलती है।