ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में आयोजित 35वें अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में 90 देशों के करीब 1100 साधकों ने योगाभ्यास किया। 25 देशों के 75 योगाचार्यों ने साधकों को विभिन्न योग क्रियाओं का अभ्यास कराया। महोत्सव में उत्तराखंड की सांस्कृतिक छटा भी देखने को मिली।

बृहस्पतिवार को आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के दूसरे दिन यूएसए के गुरुशब्द सिंह खालसा ने कुंडलिनी साधना का अभ्यास कराया। अमेरिका की गुरमुख कौर खालसा ने बताया कि कैसे अपने अंदर सुरक्षा तलाशें, प्रसिद्ध किआ मिलर की ओर से हार्ट लोटस, पावर विन्यास, योगाचार्य आनंद मेहरोत्रा शक्ति को जीवंत करना, बंगलूरू के आयंगर योग शिक्षक एचएस अरुण ने आधुनिक बीमारियों से बचने के लिए आयुर्वेद और योग से समाधान की जानकादी दी।

डॉ. राघवन रामनकुट्टी, शारदा राघवन ने कहा कि आयुर्वेद एक उपचार प्रणाली है, जो शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और योग को जोड़ती है। स्वामी स्वत्वानंद वेदांत, माइकल बर्नार्ड बेकविथ, योगिक योग के सह संस्थापक और निदेशक मोहन भंडारी, संदीप देसाई, चेन्नई योग स्टूडियो के संस्थापक रोहिणी मनोहर, डॉ. ईडन ने विभिन्न योग क्रियाओं की जानकारी दी।

डॉ. टोनी नादर ने कहा कि चेतना ही सब कुछ है। योग से चेतना को जागृत किया जा सकता है। वहीं, आचार्य आशीष गिल्होत्रा ने साधकों को प्राकृतिक उपचार की बारीकियां सिखाईं। डॉ. निशि भट्ट ने नाड़ी योग, जर्मनी की शांति मनप्रीत ने हीलिंग ‘क्रिस्टल साउंडिंग हार्ट’, डॉ. स्मिता पंकज नारम ने जीवंत स्वास्थ्य पर चर्चा की।

योग सोमोस्टोडोस फाउंडेशन के अध्यक्ष जय हरि सिंह ने हृदय चक्र संतुलन, जापान के गुमी और हिरोको ने वॉयसिंग द साउंड्स ऑफ योर चक्र की जानकारी दी।

सांध्य कालीन गंगा आरती के बाद भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से उत्तराखंड रंगोत्सव का प्रदर्शन किया गया। इसमें उत्तराखंड के लोकनृत्य, पारंपरिक, कलात्मक और सांस्कृतिक छटा देखने को मिली।

 

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