जी-20 के लिए चंडीगढ़ पहुंचे विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने रॉक गार्डन का किया दौरा
जी-20 की दो दिवसीय बैठक में भारत ने आर्थिक स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर ज्यादा सहयोग की जरूरत पर बल दिया ताकि इसका फायदा सतत वृद्धि के तौर पर पूरी दुनिया को मिल सके। यह जानकारी वित्त मंत्रालय की आर्थिक सलाहकार अनु मथाई, निदेशक प्रवीण कुमार, संयुक्त सचिव बी पुरुषार्थ ने मंगलवार को आईटी पार्क स्थित ललित होटल में जी-20 की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना कार्य समूह की बैठक के बाद प्रेसवार्ता कर दी।
अनु मथाई ने कहा कि आर्थिक स्थिरता के रास्ते में क्या रुकावट है, इसका आकलन करने की जरूरत है। आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक जैसी कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं, सात-आठ रीजनल डेवलपमेंट बैंक भी बैठक में शामिल हुए, जिन्होंने इन पहलुओं पर ध्यान दिया है। बताया कि इस बैठक में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान ने विकास के मुद्दों के लिए फंडिंग, सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल, गरीबी हटाने जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
कहा कि दो दिनों में भारत की तरफ से तैयार किए गए एजेंडों पर सभी देशों सहमति जताई और अपनी-अपनी राय रखी। बैठक में जो चर्चाएं हुईं वो जी-20 की वित्त मंत्रियों व सेंट्रल बैंक गवर्नर्स की बैठक में रखी जाएंगी। ये बैठक 24 और 25 फरवरी को बंगलूरू में होगी।
पाकिस्तान और श्रीलंका ही नहीं, पूरे विश्व के परिदृश्य पर बातचीत
पाकिस्तान व श्रीलंका की आर्थिक स्थिति के मसले पर अधिकारियों ने कहा कि जी-20 में किसी एक देश पर चर्चा नहीं हुई बल्कि पूरे विश्व के परिदृश्य पर बातचीत हुई। महामारी के दौरान क्राइसिस रिस्पांस को लेकर कहा गया कि ऐसा मैकेनिज्म तैयार किए जाने पर बातचीत हुई है, जिसमें गरीब देशों के ऋण भुगतान को कैसे आगे बढ़ाया जाए ताकि इसे वापस करने के लिए उन्हें समय मिल सके। टेरर फंडिंग को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा गया कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) संस्था इन विषयों पर अपने वार्षिक प्रोग्राम में बातचीत करती है।
सीबीडीसी पर भी देशों ने दी अपनी राय
दो दिनों के दौरान रिजर्व बैंक ने सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) के अवसर और चुनौतियों पर भी बातचीत की। बैठक के दौरान सीबीडीसी पर विभिन्न देशों के अनुभव को जाना गया और इसका क्या प्रभाव पड़ा, इस बारे भी पूछा गया। कई देशों में यह पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चल रहा है।
मल्टीलेटरल डेवलपमेंट बैंकों को कैसे सुदृढ़ किया जाए, ऋण भुगतान की चुनौतियों और जी 20 कॉमन फ्रेमवर्क के तहत ऋण से त्रस्त गरीब देशों की मदद कैसे की जाए, विभिन्न देशों में विकास के लिए कैसे फाइनेंस को बढ़ाया जाए, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को सुदृढ़ कैसे किया जाए ताकि महामारी व जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों से पार पाया जा सके, इस पर विस्तार से चर्चा हुई है।