https:\\cgstuttrakhand.gov.in

सुरंग में हुए हादसे में फंसे 41 श्रमिकों को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका, दिवाली के दिन उत्तरकाशी में हुआ था हादसा। रेस्क्यू का आज 11वां दिन

सुरंग में ड्रिलिंग का काम अंतिम चरण में सुरंग में ड्रिलिंग का काम अंतिम चरण में

राष्ट्रीय लोक संवाद (न्यूज़ डेस्क) : 22 नवंबर 2023

सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के स्वागत और उनका कुशलक्षेम पूछने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुधवार शाम उत्तरकाशी पहुंच गए हैं। वे यहां मातली में ही रात्रि प्रवास करेंगे, फिर जिस समय भी श्रमिक बाहर आएंगे सीएम उनके वहीं मिलेंगे।

सुरंग हादसे के बाद अब सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार तैयारी में जुटी है। एनएचएआई की टीम अब देश भर में सभी 29 निर्माणाधीन सुरंगों का सुरक्षा ऑडिट करेगी।

सीएम धामी ने ट्ववीट कर कहा ‘सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। मैं स्थलीय निरीक्षण के लिए उत्तरकाशी पहुँच रहा हूं।’ सिलक्यारा टनल में फँसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर जारी रेस्क्यू ऑपरेशन के स्थलीय निरीक्षण हेतु उत्तरकाशी पहुँच रहा हूँ।

सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों के लिए खाना पैक किया जा रहा है। छह इंच की पाइपलाइन के जरिए मजदूरों तक खाना पहुंचाया जाएगा। सभी मजदूरों को बाहर निकालकर सीधे चिन्यालीसौड़ ले जाने की तैयारी है। मुख्यमंत्री धामी भी वहीं मजदूरों से मिलेंगे। एनडीआरएफ ने भी बचाव की ब्रीफिंग शुरू की कर दी है।

सुरंग में ड्रिलिंग का काम अंतिम चरण में

ऑगर मशीन से सुरंग में ड्रिलिंग का काम जारी है। सिलक्यारा सुरंग में ड्रिलिंग का काम अब अंतिम चरण में पहुंच गया है। अभियान के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने बताया कि ऑगर मशीन से लगभग 44-45 मीटर ड्रिलिंग पूरी कर ली गई है। अब केवल करीब 20 मीटर की ही ड्रिलिंग शेष बची है। जिसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। उम्मीद है कि पाइप सुरंग से अगले दो घंटे में आर पार हो जाएगा।

मंगलवार रात से लगातार ऑगर मशीन से ड्रिलिंग के बाद हल्का मलबा गिरने लगा था। जिसके बाद अब ड्रिलिंग को कुछ देर के लिए रोका गया है।अभी यहां नौवां पाइप डाला जा रहा था। इसके बाद एक और पाइप डाला जाना है।

सिलक्यारा में सुरंग की खुदाई के लिए गुजरात के वापी से ड्रिलिंग मशीन लेकर मालगाड़ी ऋशिकेश पहुंची। दो ड्रिलिंग मशीनों को ट्रकों के माध्यम से सिलक्यारा भेजा जा रहा है।

बचाव अभियान को लेकर अगले करीब दस घंटे अहम हैं। टनल से जैसे-जैसे मजदूरों के बाहर आने की उम्मीद बढ़ रही है, वैसे ही उनके प्राथमिक उपचार की भी तैयारी तेज हो गई है। यहां अस्थायी अस्पताल बनाया गया है, जिसमें आठ बेड लगाए गए हैं। यहां से करीब चार किलोमीटर दूर हेलिपैड बना है, जहां से श्रमिकों को एयरलिफ्ट करके एम्स ले जाया जा सकता है। उत्तरकाशी जिला अस्पताल में भी 45 बेड अलग से रिजर्व कर दिए गए हैं।

श्रमिकों से बात करने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने ऑडियो कम्युनिकेशन शुरू किया है। भीतर माइक्रोफोन और स्पीकर भेज दिया गया है।