सुरंग पर निगाहें: सुरंग में फंसी 41 श्रमिकों के आज बाहर आने की उम्मीद है। ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया। वहीं सुरंग के बाहर परिजन बेसब्री से अपनों के निकालने का इंतजार कर रहे
राष्ट्रीय लोक संवाद (न्यूज़ डेस्क) : 24 नवंबर 2023 :
सुरंग पर निगाहें: सुरंग में फंसी 41 जिंदगियां कैद से आजाद होने को बेकरार हैं। हर कोई अच्छी खबर का इंतजार कर रहा है। श्रमिकों को बाहर निकालने का उत्साह गुरुवार को दिनभर उतार चढ़ाव लेता रहा। सूरज चढ़ता गया और अड़चनों की वजह से श्रमिकों के बाहर आने का इंतजार बढ़ता रहा।
आज शुक्रवार शाम तक श्रमिकों के बाहर आने की उम्मीद है। ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया। वहीं सुरंग के बाहर परिजन बेसब्री से अपनों के निकालने का इंतजार कर रहे हैं। बुधवार की रात को चले अभियान की रफ्तार से ये उम्मीद जताई जा रही थी कि बृहस्पतिवार की सुबह तक सभी 41 श्रमिकों के कुशलता पूर्वक बाहर आ जाएंगे, लेकिन रात को अमेरिकन ऑगर ड्रिल मशीन की राह में लोहे के सरिये व गाटर आ गए जो टनल के भीतर के स्ट्रक्चर के लिए लगाए गए थे।
इससे मशीन का पुर्जा भी टूट गया। मशीन रोकनी पड़ी। इसके बाद एनडीआरएफ के जवान ने करीब 40 मीटर तक पहुंचे 800 मिमी पाइप के भीतर घुसकर रुकावट को देखा। उन्होंने इसे काटने की सलाह दी, जिसके लिए गैस कटर मंगाया गया। भीतर ऑक्सीजन कम होती है। गैस कटर चलाने पर ये और कम हो जाती है। लिहाजा, पहली टीम जब इसे काटने के लिए पहुंची तो वह सफल नहीं हो पाई।
सुरंग पर निगाहें : अब छह इंच का पाइप पहुंचने के बाद से श्रमिकों को पका हुआ भोजन दिया जा रहा है। उनकी टीम मजदूरों और बचाव कार्य में लगी टीम के सुबह के नाश्ते, दिन व रात के खाने को पहुंचाने में दिन-रात जुटी रहती है। इस सात सदस्यीय टीम के लीडर रत्नाकर दास ने बताया कि पूर्व में 4 इंच के पाइप से हर 45 मिनट में अंदर फंसे मजदूरों को मुरमुरे, भूने चने, भीगे चने, बादाम, काजू, किशमिश और पॉपकार्न व मूंगफली दी जाती थी। जिसे वह स्टोर करके खाया करते थे। रत्नाकार ने बताया कि उन्होंने यह काम अपनी स्वेच्छा से चुना। ताकि वह अंदर अपने साथियों की देखभाल कर सकें। बताया कि इस काम के चलते पिछले कुछ दिनों में वह केवल दो से तीन घंटे ही सो पा रहे हैं।
सुरंग पर निगाहें: इसके बाद दूसरी टीम भीतर गई, जिसे कई घंटे की मशक्कत के बाद इसे काट दिया। सुबह दोबारा डि्ल मशीन शुरू कर दी गई। नौवां पाइप भीतर भेजना शुरू किया गया। करीब 1.8 मीटर पाइप पहुंचा ही था कि मशीन में फिर तेज कंपन्न होने लगी। सामने फिर सरिये की चुनौती पेश आई, जिसे देर शाम तक काटा गया। श्रमिकों को पाइप उनके पास तक पहुंचने और बचाव दलों को मजदूरों के बाहर आने का इंतजार था। देर रात तक बचाव अभियान जारी था।
सुरंग पर निगाहें : पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि सबसे पहले, हमें मशीन के प्लेटफॉर्म का पुनर्गठन कर दिया और इसके बाद पाइप पर जो थोड़ा दबाव था उसे काटने का काम चल रहा है। ये पूरा हो जाने के बाद हमने ऑगर ड्रिलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पार्सन्स कंपनी ने ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार से जो अध्ययन किया है उसे हमें पता चला कि अगले 5 मीटर तक कोई धातु अवरोध नहीं है। इस हिसाब से अगर ड्रिल मशीन ठीक चली तो पाइप सुरंग में फंसे मजदूरों के बेहद करीब पहुंच जाएगा। शाम तक उनके बाहर आने की उम्मीद है।
उम्मीद है कि आज श्रमिकों और परिजनों का इंतजार खत्म हो जाएगा। वहीं उत्तरकाशी सुरंग बचाव पर पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि अभी स्थिति काफी ठीक है। कल रात हमें दो चीज़ों पर काम करना था।