केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ शराब आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है।

अधिकारियों ने समाचार एजेंसी को बताया, “गृह मंत्रालय ने हाल ही में दिल्ली आबकारी नीति मामले में केजरीवाल पर धन शोधन विरोधी कानून के तहत मुकदमा चलाने के लिए ईडी को आवश्यक मंजूरी दी है।” अब, केंद्र की मंजूरी के बाद, ईडी केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ आरोप तय कर सकता है। इस कदम से दिल्ली चुनाव केजरीवाल को पिछले साल मार्च में ईडी ने गिरफ्तार किया था। एजेंसी का दावा है कि दिल्ली के पूर्व सीएम कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के “सरगना और मुख्य साजिशकर्ता” थे।से कुछ हफ्ते पहले मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया है। इससे पहले, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भी मामले में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी।

ईडी का कहना है कि केजरीवाल ‘मुख्य साजिशकर्ता’ हैं

ईडी ने केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली में एक विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत के समक्ष उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया। करीब छह महीने जेल में बिताने के बाद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी। उन्हें 13 सितंबर, 2024 को तिहाड़ जेल से रिहा किया गया।

केजरीवाल को पिछले साल मार्च में ईडी ने गिरफ्तार किया था। एजेंसी का दावा है कि दिल्ली के पूर्व सीएम कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के “सरगना और मुख्य साजिशकर्ता” थे।

आबकारी नीति के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग

यह मामला दिल्ली सरकार की 2021-22 की आबकारी नीति के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के दावों से जुड़ा है, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था। इस नीति का उद्देश्य दिल्ली में शराब की बिक्री का निजीकरण करना था, लेकिन बाद में आरोप लगाया गया कि इसने कुछ निजी संस्थाओं को लाभ पहुँचाया और राज्य को वित्तीय नुकसान पहुँचाया।

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मनीष सिसोदिया, पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन और राज्यसभा सांसद संजय सिंह समेत कई AAP नेताओं को गिरफ़्तार किया गया था। बाद में उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया।

दिल्ली चुनाव के लिए मंच तैयार

इन घटनाक्रमों से दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी की तैयारी पर असर पड़ने की संभावना है क्योंकि त्रिकोणीय मुकाबले के लिए प्रचार अभियान तेज़ हो गया है। चुनाव 5 फरवरी को होने हैं और वोटों की गिनती 8 फरवरी को होगी। केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस आप को सत्ता से बेदखल करने के लिए अभियान चला रही हैं, जिसने 2013, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों के बाद लगातार सरकारें बनाई हैं।

2020 के चुनाव में आप को 62 सीटों के साथ शानदार जीत मिली, जबकि भाजपा को 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में आठ सीटें मिलीं। 2015 के चुनाव में आप ने 67 सीटें जीती थीं और भाजपा को तीन सीटें मिली थीं। दोनों ही चुनावों में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।